Friday, December 16, 2016

ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता Na tha kuch to khuda tha, kuch na hota to khuda hota – Mirza Ghalib

Na tha kuch to khuda tha kuch na hota to khuda hota – Mirza Ghalib

ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने, ना होता मैं तो क्या होता

हुआ जब गम से यूँ बेहीस तो गम क्या सर के काटने का
ना होता गर जुदा तन से तो जानूँ पर धारा होता

हुई मुद्दत के 'ग़ालिबमर गया पर याद आता है
वो हर एक बात पे कहना के यूँ होता तो क्या होता

                 
                                                     - मिर्ज़ा ग़ालिब


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