बहुत दराज़ फ़साना है ये
इक ज़ख्म बहुत पुराना है ये
कुछ रोग होते हैं लाइलाज़
इक ज़ख्म खा के जाना है ये
गीत विरह का उम्र भर ही
हमको बस अब गाना है ये
कुछ लोग मिलते हैं किस्मतों से
उस से बिछड़ के जाना है ये
है इश्क़ नहीं ये सब के लिए
"राज" हमने अब माना है ये
सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteNice
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