अजब नशात से, जल्लाद के चले हैं हम आगे
के: अपने साये से सर, पाँव से है दो कदम आगे
कज़ा ने था मुझे चाहा ख़राबे बादः-ए-उल्फ़त
फ़क़त 'ख़राब' लिखा, बस नः चल सका कलम आगे
ग़मे ज़मानः ने झाड़ी नाश्ते इश्क़ की मस्ती
वगर्न: हम भी उठाते थे लज्ज़ते अलम आगे
खुदा के वास्ते दाद इस जुनूने शौक़ की देना
के उसके दर पे: पहोंचते हैं नामःबार से हम आगे
ये: उम्र भर जो परीशानियाँ उठाई हैं हमने
तुम्हारे आइयो ऐ तुर्र: हाए ख़म बः ख़म, आगे
दिल-ओ-जिगर में परअफशाँ जो एक मौज:-ए-खूँ है
हम अपने ज़ओम में समझे हुए थे उसको दम आगे
क़सम जनाज़े पे: आने की मेरे खाते हैं 'ग़ालिब'
हमेशा: खाते थे जो मेरी जान की क़सम, आगे
-मिर्ज़ा असद-उल्लाः खाँ 'ग़ालिब'
_____________________________________________________________________________
नशात=हर्ष; कज़ा=मौत; ख़राबे बादः-ए-उल्फ़त=मदिरा की चाहत मे नष्ट; ग़मे ज़मानः=दुनिया के दुःख;
नाश्ते इश्क़=प्रेम का हर्ष (खुसी); लज्ज़ते अलम=दुखों का आनंद; नामःबार=डाकिया;
तुर्र: हाए ख़म बः ख़म=घूँघरियली बालों की लटें; परअफशाँ=व्याकुल (बेचैन);
मौज:-ए-खूँ=खून की लहर; ज़ओम=घमंड; दम=सांस;
के: अपने साये से सर, पाँव से है दो कदम आगे
कज़ा ने था मुझे चाहा ख़राबे बादः-ए-उल्फ़त
फ़क़त 'ख़राब' लिखा, बस नः चल सका कलम आगे
ग़मे ज़मानः ने झाड़ी नाश्ते इश्क़ की मस्ती
वगर्न: हम भी उठाते थे लज्ज़ते अलम आगे
खुदा के वास्ते दाद इस जुनूने शौक़ की देना
के उसके दर पे: पहोंचते हैं नामःबार से हम आगे
ये: उम्र भर जो परीशानियाँ उठाई हैं हमने
तुम्हारे आइयो ऐ तुर्र: हाए ख़म बः ख़म, आगे
दिल-ओ-जिगर में परअफशाँ जो एक मौज:-ए-खूँ है
हम अपने ज़ओम में समझे हुए थे उसको दम आगे
क़सम जनाज़े पे: आने की मेरे खाते हैं 'ग़ालिब'
हमेशा: खाते थे जो मेरी जान की क़सम, आगे
-मिर्ज़ा असद-उल्लाः खाँ 'ग़ालिब'
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नशात=हर्ष; कज़ा=मौत; ख़राबे बादः-ए-उल्फ़त=मदिरा की चाहत मे नष्ट; ग़मे ज़मानः=दुनिया के दुःख;
नाश्ते इश्क़=प्रेम का हर्ष (खुसी); लज्ज़ते अलम=दुखों का आनंद; नामःबार=डाकिया;
तुर्र: हाए ख़म बः ख़म=घूँघरियली बालों की लटें; परअफशाँ=व्याकुल (बेचैन);
मौज:-ए-खूँ=खून की लहर; ज़ओम=घमंड; दम=सांस;
आभार पढ़वाने का...
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