अजब नशात से, जल्लाद के चले हैं हम आगेके: अपने साये से सर, पाँव से है दो कदम आगेकज़ा ने था मुझे चाहा ख़राबे बादः-ए-उल्फ़तफ़क़त 'ख़राब' लिखा, बस नः चल सका कलम आगेग़मे ज़मानः ने झाड़ी नाश्ते इश्क़ की मस्तीवगर्न: हम भी उठाते थे लज्ज़ते अलम आगेखुदा के वास्ते दाद इस जुनूने...