Tuesday, June 28, 2011

ये: न: थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार होता Ye na thi hamari kismat ke visale yaar hota-Galib

ये:  न:  थी  हमारी  क़िस्मत  के  विसाले  यार  होताअगर  और  जीते  रहते , यही   इंतज़ार  होतातेरे  वादे  पर  जिए  हम , तो  ये:,  जान  झूठ  जानाके  ख़ुशी  से  मर  न: जाते,...

Saturday, June 4, 2011

अजब नशात से, जल्लाद के चले हैं हम आगे Ajab nashat se jallad ke chale hain hum aage-Galib

अजब  नशात  से, जल्लाद के चले  हैं  हम आगेके: अपने साये से सर, पाँव से है दो कदम आगेकज़ा  ने  था  मुझे  चाहा  ख़राबे  बादः-ए-उल्फ़तफ़क़त  'ख़राब' लिखा, बस नः चल सका कलम आगेग़मे  ज़मानः ने  झाड़ी  नाश्ते  इश्क़  की मस्तीवगर्न: हम भी उठाते थे लज्ज़ते  अलम  आगेखुदा  के  वास्ते  दाद  इस जुनूने...