दोस्त अहबाब की नज़रों में बुरा हो गया मैं
वक़्त की बात है क्या होना था क्या हो गया मैं
दिल के दरवाज़े को वा रखने की आदत थी मुझे
याद आता नहीं कब किससे जुदा हो गया मैं
कैसे तू सुनता बड़ा शोर था सन्नाटों का
दूर से आती हुई ऐसी सदा हो गया मैं
क्या सबब इसका था, मैं खुद भी नहीं जानता हूँ
रात खुश आ गई और दिन से ख़फ़ा हो गया मैं
भूले-बिछड़े हुए लोगों में कशिश अब भी है
उनका ज़िक्र आया कि फिर नग़्मासरा हो गया मैं
-शहरयार
__________________________________
वा=खुला; नग़्मासरा= सुमधुर गाने वाला
वक़्त की बात है क्या होना था क्या हो गया मैं
दिल के दरवाज़े को वा रखने की आदत थी मुझे
याद आता नहीं कब किससे जुदा हो गया मैं
कैसे तू सुनता बड़ा शोर था सन्नाटों का
दूर से आती हुई ऐसी सदा हो गया मैं
क्या सबब इसका था, मैं खुद भी नहीं जानता हूँ
रात खुश आ गई और दिन से ख़फ़ा हो गया मैं
भूले-बिछड़े हुए लोगों में कशिश अब भी है
उनका ज़िक्र आया कि फिर नग़्मासरा हो गया मैं
-शहरयार
__________________________________
वा=खुला; नग़्मासरा= सुमधुर गाने वाला
0 comments:
Post a Comment