बे-खुदी ले गई कहाँ हम को Be-khudi le gayi kahaan ham ko सोमनाथ चतुर्वेदी 2:25 AM Meer, Shayari, Urdu 2 comments बे-खुदी ले गई कहाँ हम को देर से इंतज़ार है अपना रोते फिरते हैं सारी-सारी रात अब यही रोज़गार है अपना दे के दिल हम जो हो गए मजबूर इसमें क्या ... Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg
हैराँ हूँ दिल को रोऊँ, के: पीटूँ जिगर को मैं ? HairaaN hoon dil ko ro'oon ki peetoon jigar ko main सोमनाथ चतुर्वेदी 3:52 AM Ghalib, Love, Urdu 1 comment हैराँ हूँ दिल को रोऊँ, के: पीटूँ जिगर को मैं मक़दूर हो तो साथ रखूँ नोह: गार को मैं छोड़ा न: रश्क ने के: तेरे घर का नाम लूँ हर यक से पूछता हूँ के: जाऊँ किधर को मैं ? जाना ... Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg