Friday, July 29, 2011

बे-खुदी ले गई कहाँ हम को Be-khudi le gayi kahaan ham ko

बे-खुदी  ले  गई  कहाँ  हम  को देर  से  इंतज़ार  है  अपना रोते  फिरते  हैं  सारी-सारी  रात अब  यही  रोज़गार  है  अपना दे  के  दिल  हम  जो  हो  गए  मजबूर इसमें  क्या ...

Sunday, July 3, 2011

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ, के: पीटूँ जिगर को मैं ? HairaaN hoon dil ko ro'oon ki peetoon jigar ko main

हैराँ  हूँ  दिल  को   रोऊँ,  के:  पीटूँ  जिगर  को  मैं मक़दूर  हो  तो  साथ  रखूँ  नोह: गार  को  मैं छोड़ा  न:  रश्क   ने   के:  तेरे  घर  का  नाम  लूँ हर  यक  से  पूछता   हूँ  के:  जाऊँ  किधर  को  मैं ? जाना ...