Sunday, August 14, 2011

ख़िरद मन्दो से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है Khirad mando se kya poochhoon ki meri ibtida kya hai.

Iqbal shayari in hindi
ख़िरद मन्दो  से  क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फिक्र में रहता हूँ मेरी इन्तहा क्या है

खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रिज़ा क्या है

नज़र आई  मुझे तक़दीर की गहराइयाँ इसमें
न पूछ ऐ हमनशी मुझसे वो चश्मे-सुर्मा-सा क्या है

नवाए-सुबह गाही ने जिगर खूँ कर दिया मेरा
खुदाया जिस खता की यह सज़ा है वो खता क्या है  

                                       - अल्लामा मुहम्मद 'इक़बाल'
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 ख़िरद=ज्ञानी ; इब्तिदा=आरंभ ; इन्तहा=अंत ; रिज़ा=भाग्य ; हमनशी=इच्छा ;
 चश्मे-सुर्मा=आँख का सुर्मा ; नवाए-सुबह=सुबह की आवाजें ;