Friday, July 29, 2011

बे-खुदी ले गई कहाँ हम को Be-khudi le gayi kahaan ham ko

Meer Taqi Meer ke Nagme
बे-खुदी  ले  गई  कहाँ  हम  को
देर  से  इंतज़ार  है  अपना

रोते  फिरते  हैं  सारी-सारी  रात
अब  यही  रोज़गार  है  अपना

दे  के  दिल  हम  जो  हो  गए  मजबूर
इसमें  क्या  इख्तियार  है  अपना

कुछ  नहीं  हम  मिसाल-ए-उनका  ले  के
शहर-शहर  इश्तहार  है  अपना

जिसको  तुम  आसमान  कहते  हो
सौ   दिलों  का  गुबार  है  अपना
                                               -मीर तकी मीर

2 comments:

  1. behtrin - -मीर तकी मीर

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  2. जिसको तुम आसमान कहते हो
    सौ दिलों का गुबार है अपना

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