Wednesday, December 22, 2010

ये इश्क नहीं आसां एक आग का दरिया है Yeh Ishq Nahi Aasan Aik Aag Ka Dariya Hai

वो  बोले 

ये  इश्क  नहीं  आसां , इतना  तो  समझ  लीजिये
एक  आग  का  दरिया  है , और  डूब  के  जाना  है

मैंने  कहा

 मासूम  सी  मोहब्बत  का  बस  इतना  सा   फ़साना  है
कागज  की  हवेली  है , बारिश  का  ज़माना  है

क्या  शर्त -ए -मोहब्बत  है , क्या  शर्त -ए -ज़माना  है 
आवाज़  भी  जख्मी  है  और  वो  गीत  भी  गाना  है

उस 
पार  उतरने  की  उम्मीद  बहुत  कम  है
कश्ती  भी  पुरानी  है , तूफ़ान  भी  आना  है

समझे  या  न  समझे  वो  अंदाज़ -ए -मोहब्बत  का
भीगी  हुई  आँखों  से  एक  शेर  सुनाना  है

भोली  सी  अदा , कोई  फिर  इश्क  की  जिद  पर  है
फिर  आग  का  दरिया  है  और  डूब  ही  जाना  है 

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